12/10/11

सहवाग के दोहरे शतक पर पूनम ने दी ‘डबल ट्रीट 219

नई दिल्ली। सुर्खियों में रहने वाली पूनम पांडे ने टीम इंडिया के विस्‍फोटक बल्‍लेबाज वीरेंद्र सहवाग को दोहरा शतक जड़ने पर डबल ट्रीट दी है।
पूनम ने सहवाग के सहवाग के दोहरे शतक जड़ने पर ट्वीट किया था कि वो अपना एक नया हॉट वीडियो अपलोड करेंगी। पूनम ने ट्विटर पर लिखा कि ट्वीट हार्ट्स, डबल ट्रीट 219 नाम से नया वीडियो जल्द ही आपके सामने होगा। 2 मिनट 19 सेकंड का यह वीडियो 4 बजे दिखेगा।
अपना वादा निभाते हुए पूनम ने अपनी वेबसाइट पर एक हॉट वीडियो अपलोड किया। पूनम ने ये वीडियो 2.19 सेकेंड का इसलिए अपलोड किया है क्योंकि सहवाग ने वेस्‍टइंडीज के खिलाफ इंदौर में 219 रन बनाए थे।
पूनम के मुताबिक वीडियो अपलोड करने के बाद इसे देखने वालों की भीड़ लग गई है।
मालूम हो कि इससे पहले भी पहले पूनम अपनी साइट पर अपनी अर्धनग्‍न तस्‍वीरें, 'बाथ वीडियो' और 'बैडरूम सीक्रेट' नाम के इस वीडियो अपलोड कर चुकी है। जिन्होंने सनसनी मचा दी थी।

12/7/11

सोशल नेटवर्किंग पर नजर

राजेश्वर राजभर : सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया जगत की दिग्गज कंपनियों गूगल तथा फेसबुक समेत कई वेबसाइटों को कथित तौर पर निर्देश दिया है कि वे 'इस्तेमाल करने वालों की विषय सामग्री पर नजर रखें' और देखें कि कहीं कोई अपमानजनक अथवा आपत्तिजनक सामग्री तो प्रकाशित/ प्रसारित नहीं की जा रही है। आश्चर्य की बात नहीं कि इसकी वजह से ऑनलाइन जगत में तूफान सा आ गया। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले इसे एक ऐसी जगह के रूप में देखते हैं जहां अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई अंकुश नहीं है। सरकार और सत्ताधारी दल भी अपने रुख पर अडिग हैं और लगातार जोर दे रहे हैं कि कांग्रेस के अलावा कोई दूसरा राजनीतिक दल पारदर्शिता, खुलेपन और अभिव्यक्ति की आजादी में इतनी आस्था नहीं रखता। ऐसा प्रतीत होता है कि यह कदम मुख्यरूप से एक तरह के भय के कारण उठाया गया है क्योंकि ज्यादातर कांग्रेस के नेताओं को ही आपत्तिजनक सामग्री में निशाना बनाया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि जिन अराजक लेकिन काल्पनिक लोकाचारों के साथ इंटरनेट की शुरुआत हुई थी, अपने विस्फोटक विकास के क्रम में वह उसे बरकरार नहीं रख सका। ऑनलाइन सामग्री सबके लिए सुलभ है और इसमें ऐसी मिथ्या और अपमानजनक बातें प्रकाशित होती हैं जो किसी दूसरे माध्यम में आएं तो उनपर समुचित दंड लगाया जा सकता है। इस बात के पीछे एक तार्किक वजह है कि आखिर क्यों इंटरनेट पर की गई अभिव्यक्ति को टेलीविजन अथवा प्रिंट मीडिया में की गई अभिव्यक्ति से अलग करके देखा जाए। इस विविधता वाले विकेंद्रित माध्यम पर नियंत्रण कर पाना खासा कठिन काम है। यही वजह है कि सरकार ने लगातार प्रयास किया है कि ऐसे नियंत्रण का बोझ तथा निगरानी का काम सेवा प्रदाताओं और फेसबुक, याहू तथा गूगल जैसी होस्ट वेबसाइटों पर छोड़ दिया जाए। ये कंपनियां खुद को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के रूप में देखना चाहेंगी जो खुद को किसी संचार के बीच बांटी गई भड़काऊ सूचना के लिए जिम्मेदार नहीं मानते जबकि सरकार उनको प्रकाशक मानती है जो उनके द्वारा सार्वजनिक की जा रही जानकारी की हर पंक्ति की निगरानी कर सके। वर्ष की शुरुआत में जब सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 के नए प्रावधानों को अधिसूचित किया गया तो यह स्पष्ट हो गया था कि कुछ न कुछ टकराव पैदा होगा। इनके तहत जिन प्रतिबंधों की व्यवस्था की गई है वे न्यायिक परीक्षण अथवा विधायी व्याख्या से उभरे हैं। उनका कार्यपालिका से कोई लेना देना नहीं है। वेबसाइटों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि वे उपयोगकर्ताओं के लिए कड़े नियम बनाएं और प्रकाशित करें तथा किसी सूचना को हटाने की मांग पर 36 घंटे के अंदर कार्रवाई करें। गूगल और फेसबुक दोनों ने वक्तव्य जारी करके कहा है कि उन्होंने कानून के शब्दार्थ और उसकी मूल भावना दोनों का पालन किया है लेकिन सरकार अब इससे भी आगे जाना चाहती है। उसे अपने संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री की बात सुननी चाहिए जिन्होंने गत सप्ताह लोक सभा में कहा था कि इन साइटों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोग करते हैं और इन पर लाखों पन्ने हैं जिन पर नजर रखना व्यावहारिक नहीं है। जो भी हो, आपत्तिजनक सामग्री की पूर्व निगरानी अस्वीकार्य सेंसरशिप की तरह है। साथ ही इंटरनेट भी अभिव्यक्ति के किसी अन्य माध्यम से अलग नहीं है। उसे भी उतनी ही आजादी होनी चाहिए और मानहानि अपमान के मामलों में उसी तरह के प्रतिबंधों का सामना करना चाहिए। सरकार को उसी हद तक कानून लागू करने चाहिए जितने कि व्यावहारिक हों। उसे इसमें पारदर्शी तरीका अपनाना चाहिए।


12/5/11

माया के करीबी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार के कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर पद के दुरूपयोग व संपत्ति जुटाने का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त से शिकायत की गई है। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने कहा है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी के संबंध में उन्हें दो शिकायतें मिली हैं। पहले इसरार उल्ला सिद्दीकी ने शिकायत की थी पर औपचारिकताएं पूर्ण न होने के कारण शिकायत को पंजीकृत कर अभी जांच नहीं शुरू हुई है। दूसरी शिकायत आशीष सागर की ओर मिली है।



सिद्दिकी के खिलाफ की गई शिकायतों में उनके ऊपर परिजनों व रिश्तेदारों को पहाड़ व बालू के पट्टे करवाने के अलावा बांदा के गांव स्योढ़ा में आलीशान मकान, शहर में दो कोठी के अलावा लखनऊ, बाराबंकी व गाजियाबाद में अकूत संपत्ति खड़ी करने का आरोप है।



शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत के पक्ष में तमाम अभिलेख लगाए हैं। बांदा के आशीष सागर की ओर से लोकायुक्त को भेजी गई शिकायत में परिवारीजनों एवं रिश्तेदारों के नाम पहाड़ व बालू के पट्टे कराए जाने के के साथ-साथ बड़े भाई के दामाद कानाम नजूल भूमि में अवैध कब्जा धारक के रूप में नाम दर्ज होने की भी बात कही गई है।



रोशन कांस्ट्रक्शन कंपनी का संचालन कराकर इन्हें लोक निर्माण विभाग के बड़े ठेके प्रत्यक्ष व परोक्ष नामों से दिए जा रहे हैं। मुक्ति धाम श्मशान व कब्रिस्तान विकास समिति में मंत्री के ही करीबी लोग हैं। गौरतलब है कि लोकायुक्त की शिकायत पर अब तक सरकार के पांच मंत्रियों की कुर्सी जा चुकी है और दो दर्जन के खिलाफ शिकायतें लंबित है।

'भ्रष्टाचार' की 26 कंपनियां, राहुल गांधी ने दिया साथः भाजपा

लखनऊ.उत्तर प्रदेश में मायावती शासन में हुए घोटाले पर कड़ा रूख अपनाते हुए भाजपा नेता उमा भारती ने तीखा रूख प्रहार किया है। यूपी में मायावती शासन में हुए भ्रष्टाचार के लिए उमा ने राहुल गांधी और कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया है।

राज्य में भाजपा को दोबारा जीवित करने के मिशन की कमान संभाले हुए मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मायावती शासन में यूपी को लूटा गया और केंद्र में कांग्रेस सरकार देखती रही।

मायावती के भाई आनंद कुमार पर 26 कंपनियां चलाने का आरोप लगाते हुए प्रैस कांफ्रैंस में इन कंपनियों की एक सूची भी जारी कई गई। उमा ने कहा कि यह कंपनियां भ्रष्टाचार के पैसे से चल रही हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कीर्ति सौमेय्या ने कहा कि आनंद कुमार की भ्रष्टाचार के पैसे से पोषित इन कंपनियों ने पिछले चार साल में बेशुमार दौलत कमाई है। इसकी जांच होनी चाहिए।

उमा ने कहा, राज्य में भाजपा का शासन आने पर वो मायावती और उनके सभी रिश्तेदारों की संपत्ति को जब्त करके राज्य हित के कार्यों में लगाएंगी। मायावती शासन में हुए भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए उमा ने कहा कि मैं राहुल गांधी और सोनिया गांधी की नैतिकता को चुनौती देते हुए यह आग्रह करती हूं कि वो मायाराज के भ्रष्टाचार की जांच करवाए।

उमा ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों ही यूपीए और कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर हैं लेकिन उन्होंने यूपी की ओर से आंख मूंद ली है। राहुल गांधी पदयात्रा के नाम पर ड्रामेबाजी तो करते हैं लेकिन भ्रष्टाचार से निबटने के लिए किसी भी स्तर पर कुछ नहीं करते। मैं भ्रष्टाचार के पैसे से चल रही इन कंपनियों की सूची राहुल को सौपूंगी और उनसे इनके खिलाफ जांच के लिए कहूंगी।

उमा ने कहा, तमाम तरह के आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली एजेंसियों की कमान यूपीए के हाथ में है लेकिन फिर भी यूपी को लूटा जाता रहा। सच ये है कि यूपी में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और घोटाले बहुजन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की मिलीभगत का नतीजा हैं। गौरतलब है कि मायावती सरकार के कई मंत्री घोटालों में फंसे हुए हैं। उन पर जांच चल रही है। हाल ही में कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर पद के दुरूपयोग व संपत्ति जुटाने का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त से शिकायत की गई है।

लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने कहा है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी के संबंध में उन्हें दो शिकायतें मिली हैं। पहले इसरार उल्ला सिद्दीकी ने शिकायत की थी पर औपचारिकताएं पूर्ण न होने के कारण शिकायत को पंजीकृत कर अभी जांच नहीं शुरू हुई है। दूसरी शिकायत आशीष सागर की ओर मिली है। सिद्दिकी के खिलाफ की गई शिकायतों में उनके ऊपर परिजनों व रिश्तेदारों को पहाड़ व बालू के पट्टे करवाने के अलावा बांदा के गांव स्योढ़ा में आलीशान मकान, शहर में दो कोठी के अलावा लखनऊ, बाराबंकी व गाजियाबाद में अकूत संपत्ति खड़ी करने का आरोप है।



12/1/11

लोकपाल पर कांग्रेस रुख से पलटी

नई दिल्ली : कांग्रेस सदस्यों के अचानक रुख से पलट जाने के चलते लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही संसद की स्थायी समिति को ग्रुप सी के अधिकारियों को दायरे से बाहर रखने और सीबीआई निदेशक की मौजूदा चयन प्रक्रिया से छेड़छाड़ नहीं करने की सिफारिश करने का फैसला करना पड़ा। विपक्ष के कम से कम 10 सदस्यों ने बैठक में फैसले बदले जाने का विरोध किया।



कार्मिक और विधि तथा न्याय मामलों की स्थायी समिति द्वारा लोकपाल विधेयक पर अपनी मसौदा रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के एक दिन बाद समिति अध्यक्ष अभिषेक सिंघवी ने गुरुवार शाम आपात बैठक बुलायी ताकि उपरोक्त दोनों मुद्दों पर नये सिरे से विचार विमर्श किया जा सके।



इस बैठक में कई सदस्यों, जिनमें अधिकतर कांग्रेस के सदस्य थे, ने कहा कि ग्रुप सी के अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में नहीं लाया जाए क्योंकि ऐसा करने से नये संस्थान पर अत्यधिक दबाव पड़ेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति का विषय इस स्थाई समिति के अधिकार क्षेत्र में नहीं है क्योंकि यह समिति लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही है और उसका मकसद लोकपाल के गठन को लेकर ही है।
भाजपा, सपा, माकपा और आरएसपी के कम से कम 10 सदस्यों ने अन्य सदस्यों के अचानक से रुख से पलट जाने का विरोध करते हुए कहा कि समिति जो फैसला कर चुकी है, उसमें संशोधन नहीं किया जा सकता।
भाजपा सदस्य कीर्ति आजाद ने कहा, अगर उन्हें आपत्तियां हैं तो उन्हें विरोध नोट देना चाहिये।

घूस की मांग से परेशान होकर तहसील में छोड़े सांप

राजेश्वर राजभर- उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले की हर्रैया तहसील में एक सपेरे ने 40 से ज्यादा सांप छोड़ दिए। घूस की मांग से परेशान हक्कुल नाम के सपेरे ने तहसील के ऑफिस में सांपों से भरे 3 बैग खाली कर दिए। इन सांपों में कुछ बेहद जहरीले कोबरा भी थे। सांपों को देख कर ऑफिस में अफरा-तफरी मच गई। कोई भागा, तो कोई मेज-कुर्सियों पर खड़ा हो गया। बड़ी मशक्कत के बाद सांपों को हटाया जा सका। दरअसल हक्कुल स्थानीय स्तर पर प्रसिद्ध सपेरे हैं और सांप निकलने पर उन्हें बुलाया जाता है। हक्कुल ने सांपों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार से जमीन की मांग की थी लेकिन हक्कुल को केवल आश्वासन मिले। हक्कुल के मुताबिक सरकार ने पिछले साल जिला प्रशासन को उसे पट्टे पर जमीन देने के आदेश जारी किए थे लेकिन रिश्वत नहीं मिलने के कारण लेखपाल समेत तहसील के कुछ और अधिकारी अड़ंगा डाल रहे थे। इसी बात से नाराज होकर उसने तहसील में सांप छोड़ दिए। उप जिलाधिकारी रणविजय सिंह ने बताया कि घटना को संज्ञान में लिया गया है और हक्कुल को जल्द ही जमीन का पट्टा दे दिया जाएगा।

 

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